कंपनी में मजदूरों के शोषण को कैसे पहचाने ?

जब भी कोई युवा कंपनी या नौकरी जॉइन करता है तो वह ख़ुशी-ख़ुशी कंपनी के द्वारा बनाए हर एक नियम का पालन करता है और कंपनी को NO. 1 बनाने के लिए अपने बॉस या कंपनी द्वारा दिए गए काम को कड़ी मेहनत से पूरा करने का प्रयास करता है लेकिन उसको यह एहसास भी नहीं होता कि कंपनी ज्वाइन करने के दिन से ही उसका शोषण किया जा रहा हो।  पर यह बात ध्यान देने वाली है कि अगर कोई कर्मचारी अन्य कर्मचारी के तुलना में अपना काम धीरे-धीरे काम करता है और अपने हिस्से का काम करने के लिए देर तक कंपनी या ऑफिस में रुक कर काम पूरा करे तो उसे शोषण नहीं कहा जा सकता है तो अब आप पूछेंगे फिर शोषण क्या होता है? आपको इसको अन्य तरीके से समझ सकते हैं। ऐसा भी कई बार देखा गया है कि कंपनी में मजदूरों कि ड्यूटी पूरी होने के बाद भी मजदूरों को कंपनी में रुकवाकर कर काम करवाती है और प्रबंधन के द्वारा मेहनतकश या मजदूरों को बार बार पूछा जाना कि काम क्यों नहीं हुआ? जबकि वह अपनी पूरी क्षमता से, बिना काम में देरी करे काम कर रहा है तो इसे हम मजदूरों के ऊपर दवाब बनाना कहेगे और अन्य शब्दों में इसे शोषण कह सकते है । कंपनी में कर्मचारियों का शोषण कई रूपों में हो सकता है, और इसे पहचानना महत्वपूर्ण है। यहाँ कुछ पहचाने जा सकने वाले प्रमुख लक्षण कि चर्चा कि गई हैं।

शोषण की मुख्य पहचान

* जब कंपनी मालिक या प्रबंधन जब अपनी निजी फायदे या गैरकानूनी गतिविदियों के लिए अपने मजदूरों या कर्मचारियों का इस्तेमाल करे ।

* नौकरी से बाहर करना: मेहनतकश, मजदूरों या कर्मचारी को नौकरी से बाहर कर देना जैसे यूनियन बनाने पर नौकरी से निकालना या निकालने की धमकी देना या अन्य तरीकों से डराना( झूठे केस डालना आदि )

* कंपनी में त्योहारों की छुट्टी होती है और कंपनी त्योहारों पर जबरदस्ती काम पर आने को कहना।

कंपनी में कार्य के घण्टे निधारित होते हैं – 8 घण्टे + 1 घण्टे का लंच ब्रेक,टी ब्रेक आदि और कंपनी  इन घंटों से अधिक काम करवाना।  

असमानता A: वेतन असमानता: किसी कर्मचारी को उनके काम के मूल्य से कम वेतन देना या अन्य कर्मचारियों की तुलना में कम वेतन देना जबकि गलत काम करने वाले जैसे डाटा विश्लेषण में हेर -फेर करने वाले, चापलूस, गैर कानूनी गतिविधियाँ करने वाले को अधिक वेतन देना । ( हर साल सबसे अधिक इन्क्रमन्ट करना )

असमानता B: पदों में असमानता: गलत काम करने वाले जैसे डाटा विश्लेषण में हेर -फेर करने वाले, चापलूस, गैर कानूनी गतिविधियाँ करने वाले कर्मचारी को अनुचित रूप से उच्च पदों में वरीयता देना। (कम समय में A.M., मैनेजर, H.O.D आदि बनाना )

समिति द्वारा: कर्मचारियों, मजदूरों द्वारा खाने-पीने की, सुरक्षा, स्वास्थ्य, वातावरण आदि के संबंध में कंपनी द्वारा बनी समिति में शिकायत करने पर उन्हे डरना, धमकाना या जॉब से निकाल देना।

दिवाली जैसे त्योहार पर अतिरिक्त काम करने के बहाने दूसरे विभाग में भेजकर बदुआ मजदूरों जैसे काम करना और व्यवहार करना ।

* विभाग कि क्षमता के अनुसार मजदूरों कि संख्या न रखना या न होना।    

अनुचित दबाव: कुछ अधिकारियों या प्रबंधकों द्वारा मजदूरों पर अनुचित दबाव डाला जाता है, जैसे कि अत्यधिक काम के लिए दबाव, अन्य तरीके से काम करने की धमकी आदि देना। 

अधिक काम या अत्याधिक दायरा: कर्मचारियों/मजदूरों को अत्यधिक काम के लिए दबाव डाला जाता है, जो उनकी नियमित कार्यक्षमता को प्रभावित करता है और उन्हें जीवन संतुलितता की कमी महसूस होती है।

शारीरिक और मानसिक अत्याचार: कुछ कर्मचारियों को शारीरिक या मानसिक रूप से अत्याचारित किया जाता है, जैसे कि जानबूझकर किसी निश्चित मजदूर से कठिन काम करना, छोटी-छोटी बातों पर बुरी भाषा का उपयोग करना या उन्हें बुरी तरह से बुरी भावना दिखाना, वेतन वृद्धि न करना, विशेष लाभों से वंचित कर देना आदि ।

* कंपनी में मशीनों का रखरखाव(maintenance) के लिए उचित विवस्था का न होना।

* काम को सरल, आसान व सुरक्षित करने वाले उपकरण न होना जैसे मजदूरों से ही लिमिट से ऊपर वज़न उठाने,खीचने के लिए बद्धए करना, मशीनों के ऊपर गार्ड न लगवाना आदि।  

* जब कंपनी मालिक या प्रबंधन अपने अधीन काम करने वाली विपरीत लिंगी कर्मचारी को प्रलोभन दे कर ऑफिस के काम के अलावा फेवर देने की बात करना।  

* जब कंपनी मालिक या प्रबंधन अपने अधीन काम करने वाले कर्मचारी/मजदूरों को अपने भी हिस्से का काम ड्यूटी पूरी के बाद करने को कहे, वो भी घर जा कर।

* जब कंपनी मालिक या प्रबंधन एक कर्मचारी को अधिक बोझ डाले और प्रबंधन कि चापलूसी करने वाले कर्मचारी को कम काम करने को दे या कंपनी मालिक या प्रबंधन, चापलूसी लोगों की हर बात मानना चाहे वह गलत ही क्यों न हो और बाकी मजदूरों को भी वही काम करने के लिए कहना। 

* जब एक कर्मचारी, दूसरे कर्मचारी कि पर्सनल जानकारी के आधार पर ब्लैकमेल करे और अपने भी हिस्से का काम उससे करवाए ।

* ऐसा कर्मचारी जो किसी को भी किसी भी काम से मना नहीं करता, कोई दूसरा कर्मचारी बेवकूफ बनाकर अपना काम करवा ले ।

इस सब से आप समझ सकते है कि ये शोषण के कुछ उदाहरण है ।

शोषण के खिलाफ लड़ाई एक संगीन और संवेदनशील मुद्दा है जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। संगठनों को इसे रोकने और उससे बचने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए, ताकि एक स्वस्थ, समर्थ, और समावेशी कार्य संस्कृति बनी रह सके।

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मजदूरों का संघर्ष: समृद्धि की ओर कदम

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