सन् 2012 में मारुति सुजुकी ऑटोमोबाइल कंपनी के अंदर हुई घटना के बाद मारुति सुकुकी ने अपने 546 पक्के और 1800 ठेकेदार मजदूर को बाहर कर दिया था और 148 मजदूरों को जेल में डाल दिया था। इतनी बड़ी घटना के बाद जाँच के लिए एक SIT (Special Investigation Team) टीम का गठन हुआ और जांच भी हुई जिसमें यह साबित हुआ की 546 मजदूर जो कंपनी ने निकाले थे वह बेकसूर थे तथा जिन 148 मजदूरों को जेल में बंद किया गया था वह न्याय प्रक्रिया के दौरान बेकसूर साबित हुए और उन्हें बरी कर दिया गया इन सब के बाद भी मारुति सुजुकी ने उन सभी मजदूरों को काम पर नहीं लिया है जबकि मारुति सुजुकी को अपने उन सभी मजदूरों को काम पर बुला लेना चाहिए जो की जांच परक्रिया के बाद निर्दोष साबित हुए हैं। और मारुति सुजुकी ने अभी किसी भी मजदूर को काम पर नहीं लिया है जिसके बाद मारुति सुजुकी के मजदूरों ने शांति के साथ डीएलसी गुड़गांव में इस बात की जानकारी दी और यह भी बताया कि इसके विरोध में 18 सितंबर 2024 के दिन मारुति सुजुकी के गेट नंबर 2 पर वह अपना शांति के साथ धरना देंगे इस बात से नाराज होकर मारुति सुजुकी ने कोर्ट का रुख कर लिया और धरना प्रदर्शन के खिलाफ अपील की जिसमें कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि मारुति सुजुकी के मजदूर अपना धरना प्रदर्शन गेट नंबर 2 से 500 मीटर की दूरी पर दे सकेंगे।
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इस निर्णय के बाद जब मारुति सुजुकी के मजदूरअपना धरना प्रदर्शन के लिए इकट्ठे हुए तो उन्हें मानेसर तहसील पर प्रशासन द्वारा ही रोक लिया गया और उन्हें चुनाव का बहाना बनाकर तहसील में धरना प्रदर्शन के लिए कहा गया है जबकि मजदूर शांति के साथ अपना धरना प्रदर्शन के लिए जा रहे थे। इस बात के बाद अब धरना प्रदर्शन जब तक जारी रहेगा तब तक कंपनी सभी मजदूरों को वापस नहीं लेगी।
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इन सब के बाद मारुति सुजुकी के मजदूर काफी स्तब्ध है कि भारत के अंदर आज मजदूर के हालात है वह काफी चिंताजनक व परेशान करने वाले हैं क्योंकि मारुति सुजुकी के मजदूर भारत के कानून के दायरे में रहकर न्याय के लिए लड़े वह बेकसूर साबित हुए फिर भी उन्हें जो न्याय मिलना चाहिए था वह आज तक नहीं मिला। यहां तक कि वह अपनी बात हरियाणा सरकार, लेबर कमिश्नर, लेबर डिपार्टमेंट तक पहुंचा चुके हैं फिर भी मजदूरो की कोई सुनवाई नहीं हुई और मजदूर धरना प्रदर्शन के लिए मजबूर है।
भारी पड़ता जापानी मैनेजमेंट, कमजोर होता देश का न्याय ?
इसके साथ अब यह भी सवाल खड़ा होता है कि क्या जापानी मैनेजमेंट के आगे भारत का कानून कोई अहमियत नहीं रखता है क्योंकि मारुति सुजुकी भारत के न्याय को नहीं मान रही है और न ही मानने के लिए तैयार हो रही है पर इन सबके बीच अगर किसी को नुकसान होगा तो वह ना तो प्रशासन का होगा, ना कानून का, और ना ही जापानी कंपनी (मैनेजमेंट) का होगा। अगर हो तो बस उन बेकसूर मजदूरों का होगा जो अपने छोटे-छोटे बच्चों, बुजुर्ग माता-पिता व घर को छोड़कर अपने न्याय के लिए धरने पर बैठे हैं जिससे वह अपने बच्चों को शिक्षा दे सके,बुजुर्ग माता-पिता, घर की की देखभाल कर सके व शशक्त होते भारत देश को आगे ले जाने में मदद कर सके।