मैं सोमनाथ ( E. Code 12090341, Dept. Refinery) 3 सितंबर 2012 से इस कंपनी में ट्रेनिंग के रूप में नियुक्त हुआ तथा 3 सितंबर 2013 से जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत रहा हूं तथा कंपनी के हर पड़ाव पर साथ रहा हूं, इस दौरान मैंने कंपनी के उन सब नियमों का पालन किया है जो कंपनी में शामिल होने के दौरान प्रस्तुत किये थे। कंपनी के अंदर तथा बाहर किसी भी अपराधी गतिविधियों में कभी भी शामिल नहीं हुआ तथा शांति के साथ अपने कार्यक्षेत्र में काम किया है जो मेरे अनुशासन तथा कंपनी के प्रति मेरी समर्पण भाव को दर्शाती है।
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दिनांक 27.7.2023 को मैं अपनी शिफ्ट G (जनरल शिफ्ट) के अनुसार 8:50 के क़रीब कंपनी में आया और सीधा अपने कार्यस्थल पर गया वहां पहुँचने पर अन्य मज़दूरों ने सूचना दी कि ए शिफ्ट में नाश्ते के लिए दिये गये पोहे में से दुर्गंध आ रही थी। उनसे मैंने पूछा कि उन्होंने अब तक कुछ खाया है तो उन्होंने इनकार कर दिया और बताया कि 9:00 बजे जूस आने की बात हुई है। फ़ूड कमेटी का सदस्य होने के नाते मैं क़रीब 9:20 को दावे के सत्यापन के लिए कैंटीन में गया और देखा कि एक कंटेनर पोहा कूड़ेदान में फेंका हुआ है। एक कंटेनर पोहा अलग ढक कर सैंपल के लिए रखा हुआ था, जिसका ढक्कन हटाया तो पाया की उसमें तेज़ दुर्गंध आ रही थी। इसके बाद मैं वापस अपने कार्यस्थल पर गया और मज़दूरों से पूछा क्या इसकी शिकायत प्रबंधन को भेजी गई है। उन्होंने बताया कि केवल कैंटीन इंचार्ज श्रीमान रतन सिंह को फ़ोन पर सूचित किया गया है। मजदूरों ने मुझे फ़ूड कमेटी सदस्य होने के नाते यह शिकायत आगे दर्ज कराने को बोला। इसके बाद मैने प्रबंधक को क़रीब 9:40 पर ईमेल द्वारा इसकी जानकारी दी जिसमें एचआर प्रबंधक श्रीमान जितेंद्र जायसवाल, HOD श्रीमान राजेश सिंह, HOD बुलियन श्रीमान राजेश रावत, HOD रिफाइनरी श्रीमान अंकुर श्रीवास्तव, लैब मैनेजर श्रीमती साक्षी भगत को भी ईमेल भेजा गया था।
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इसके लगभग आधे घंटे बाद प्रबंधक श्रीमान चंद्र किशोर ने यह जानकारी दी कि HOD लैब श्रीमान पंकज देशमुख ने मुझे बुलाया है, जिसके बाद मैं कंट्रोल ऑफिस गया जहां पहले से HOD श्रीमान पंकज देशमुख, लैब मैनेजर साक्षी भगत, मेंटेनेस मैनेजर श्रीमान प्रदीप बतरा, मैनेजर कंट्रोल रूम श्री भगवान, HOD श्रीमान अंकुर श्रीवास्तव समेत प्रबंधन के विभिन्न सदस्य मौजूद थे लेकिन मज़दूर के बीच से फ़ूड कमेटी के कोई भी सदस्य वहाँ उपस्थित नहीं थे जबकि मुझे कहा गया था कि वहाँ मज़दूर के बीच से फ़ूड कमेटी सदस्य पहले ही पहुच चुके है । वहाँ पहुँचने पर HOD श्रीमान पंकज देशमुख जी मेरे साथ कठोर स्वर में बात करने लगे और धमकाने के तरीक़े से पोहे से आने वाली बदबू इत्यादि के बारे में सवाल करने लगे (जैसे पोहा से कैसी स्मेल आ रही है? क्या तुमने उसे चेक किया है? तुम्हें ईमेल भेजने की क्या जरूरत थी? आदि )। उसके बाद प्रबंधन के अधिकारी मुझे अपने साथ कंपनी किचन में ले गये जहाँ पोहा बना था वहाँ पर मेरे सामने इंस्पेक्शन टीम ने अलग खुले बर्तनों में रखा हुआ पोहा चखा, उसके बाद इंस्पेक्शन टीम प्लांट कैंटीन में गई। पोहे के एक कंटेनर को ढककर सैंपल के लिए रखा हुआ था कंटेनर का ढक्कन जैसे ही उठाया उसमें से बहुत दुर्गंध आ रही थी जिसकी वजह से उसे फिर से ढक दिया गया थोड़ी देर बाद श्रीमान राजेश रावत ने दोबारा ढक्कन खोल तथा लगभग आधा चम्मचा पोहा लिया जिसे सूखने के तुरंत बाद टमाटर सॉस पोहे में डाल दी जो कि लगभग लिए हुए पोहे की मात्रा के बराबर थी और खाना शुरू किया और कहा कि इसमें से कोई स्मेल नहीं आ रही है तथा यह और दिन से बेहतर बना हुआ है जिसके बाद थोड़ा थोड़ा पोहा वह कुछ लोगों ने लिया जिसमें से डॉक्टर, जितेंद्र जायसवाल, साक्षी भगत आदि थे। डॉक्टर ने पोहा सूँगा और कहा कि स्मेल आने से खाना खराब नहीं होता बल्कि टेस्ट करके ही पता चल सकता है कि खाना खराब है या नहीं फिर उन्होंने टेस्ट किया और कहा पोहा सही है।
लैब मैनेजर साक्षी भगत ने भी पोहा सूंघा और बोला इसमें से थोड़ी-थोड़ी स्मेल आ रही है पर स्वाद के बारे में उन्होंने अपनी कोई भी राय उस समय नहीं दी थी।
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इसमें से कुछ लोगों जैसे HOD श्रीमान पंकज देशमुख, HOD श्रीमान अंकुश श्रीवास्तव, श्रीमान प्रदीप बत्रा, श्रीमान वीरेंद्र आदि लोगों ने पोहा नहीं चक्का था।
स्मेल आने के कारण मैंने पोहा खाने से मना कर दिया था । फिर मैंने A शिफ्ट के मजदूरों को एक बार कैन्टीन में बुलाने के लिए आग्रह किया कि उनको भी बुला लेना चाहिए क्योंकि मजदूरों ने ही शिकायत की है जिस पर HOD श्रीमान पंकज देशमुख ने मुझे कड़े शब्दों में मुझसे कहा कि यहां उनकी कोई जरूरत नहीं है तथा उन्हे बुलाने के लिए साफ-साफ मना कर दिया।
इसके बाद वह मुझे टमाटरों का भाव, कंपनी की प्रतिष्ठा, FSSAI सर्टिफिकेट आदि के बारे में बताने लगे और यह कहने लगे कि तुम्हें कंपनी के बारे में सोचना चाहिए इन सबसे कंपनी की इज्जत खराब होती है आदि इस तरह की बात कहने लगे, इसके बाद मेरे ऊपर श्रीमान ………………. ने दवाब डाला और कहा कि तुम सब लिखित में दे दो कि नस्ता सही है, पर मैंने अपनी ड्यूटी तथा ईमानदारी का परिचय देते हुए उनसे कह दिया कि “नस्ते से बदबू आ रही है तो मै कैसे लिखित बयान दे दूंगा कि पोहा सही है।“
कुछ देर तक वह मुझे देखते रहे इसके बाद “चलो जैसी तुम्हारी मर्जी कहकर” मुझे मेरे डिपार्टमेंट में जाने के लिए कहा और वापस मैं अपने डिपार्टमेंट आ गया इसके बाद साथी मजदूरों ने सारा मामला पूछा, जिसे सुनकर उन्होंने HOD श्रीमान अंकुश श्रीवास्तव से एक मीटिंग के लिए कहा तो अपने मजदूर साथियों की बात पर मैं HOD श्रीमान अंकुश श्रीवास्तव के केबिन में गया तथा मजदूर साथियों कि बात रख दी, जिसे सुनने के बाद HOD श्रीमान अंकु श्रीवास्तव ने साफ-साफ शब्दों में मजदूरों से बात करने से मना कर दिया तथा यह भी कहा कि जब जरूरत होगी मैं बात कर लूंगा इसके बाद मैं मजदूरों को सूचित कर अपने डिपार्टमेंट आ गया और अपने वर्क स्टेशन पर पहुंच कर काम करने लगा।
इसी दिन प्रबंधक चंद्र किशोर ने A शिफ्ट के मजदूरों साथियों से खाने के बारे में बात की और चले गये इस घटना के बाद मेरे साथ अनन्य पूर्ण तरीकों से कंपनी ने गलत बर्ताव किया तथा मुझे कंपनी से बाहर कर दिया।
MMTC PAMP कंपनी ने ऐसा क्यों किया?
पहली मुख्य वजह: E-mail के द्वारा जानकारी देना।
कंपनी उस समय खाने-पीने से आने वाली शिकायतों के काफी नाराज थी और कंपनी नहीं चाहती थी कि MMTC PAMP से खाने-पीने जैसी शिकायत मजदूर करे। इसके साथ ही यह जानकारी E-mail द्वारा दी गई थी। कंपनी में E-mail से कोई भी शिकायत करना सख्त मना है। इसे रोकने के लिए कंपनी ने दमनकारी व तानाशाही रास्ते को अपनाया है और अपनी मनमानी चलते हुए मुझे बाहर कर दिया गया है।
दूसरी मुख्य वजह: मजदूरों का यूनियन के लिए आवेदन करना।
कंपनी ने ऐसा मजदूर साथी मनीष को निकालने के लिए यह सब किया था और वह काफी समय से मौके की तलाश में थी क्योंकि इसी साल मनीष की अध्यक्षता में मजदूरों ने यूनियन के लिए आवेदन किया था और मनीष इस यूनियन में मुख्य सदस्य (प्रधान) था और कंपनी साथी मजदूर मनीष को निकालने के बाद मजदूरों की कमर तोड़ना चाहती थी जिसे यूनियन कमजोर हो सके व यूनियन ना बन पाए और इस यूनियन में मेरा पद केशियर का है।
MMTC PAMP के मजदूरों ने दी है गवाही।
जिस दिन खाने के ऊपर मजदूरों को निकाला गया था उस दिन A शिफ्ट में आए सभी मजदूरों ने कंपनी को कहा था कि पोहे से बदबू आ रही है पर कंपनी ने उनकी बात मानने से मना कर दिया जिसके बाद कंपनी के मजदूरों ने गवाही के तौर पर एफिडेविट बनाकर दिए थे जिससे हमें न्याय मिल सके।
MMTC PAMP से मांगी थी घटना वाले दिन की वीडियो रिकॉर्डिंग।
जिस दिन यह घटना घटी थी मनीष और मैंने उस दिन वीडियो रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखने की अपील कंपनी से की जिससे हमें न्याय मिलने में आसानी हो क्योंकि कंपनी के द्वारा लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद है और उस दिन जिस तरीके से घटना घटी थी वह लिखित तौर पर कंपनी ने उसे वैसा पेश नहीं किया था।
MMTC PAMP उड़ाती है कानून का मजाक।
कंपनी के मैनेजमेंट न्याय प्राणी में लगने वाले समय का मज़ाक उड़ते है जिसके कारण कंपनी मजदूर का शोषण व उन पर दबाव बनती हैं तथा हमारे बारे में यह कहती हैं कि भले ही वह बेगुनाह हो पर उन्हें न्याय मिलने में काफी साल लग जाएंगे और इतने सालों में वह आर्थिक तौर पर कमजोर हो जाएंगे इसके बाद वह खुद ही केस वापस ले लेंगे अगर वह केस वापस नहीं लेते तो कंपनी एक से एक बड़ा वकील नियुक्त कर लेगी और इस केस को काफी लंबा खींचेगी।
MMTC PAMP के मजदूरों ने की थी भूख हड़ताल।
कंपनी में जब खाने के ऊपर मुझे और दूसरे मजदूर साथी मनीष को अन्याय कर निकाला तो इससे दुखी होकर कंपनी के बाकी मजदूरों ने एक हफ्ते तक कंपनी में खाना ना खाने का निर्णय लिया तथा एक हफ्ते तक खाना नहीं खाया पर कंपनी फिर भी मजदूरों को दबाती रही और कुछ भी नहीं किया।
MMTC PAMP कंपनी में है उस दिन से डर का माहौल।
कंपनी में मजदूरों के ऊपर मैनेजमेंट पहले से ही हावी रही है और जिस तरह अन्याय पूर्ण तरीके से मुझे और मजदूर मनीष को निकाला है उसकी वजह से आज कंपनी में डर का माहौल है अब कोई भी मजदूर इस तरह की शिकायत नहीं करता।
नहीं लिया खाने का नमूना
कंपनी यह भली-भाति समझती कि पोहे कि सत्यता साबित करने के लिए कि वह खराब था या नहीं इसका पता जब तक नहीं चल सकता जब तक उसकी कोई लैब जाँच न हो फिर भी कंपनी ने उस दिन पोहे की जाँच के लिए कोई भी सैंपल नहीं लिया था जिससे उसकी सत्यता कि जांच लैब द्वारा की जा सके और यह पता चल सके कि पोहा खराब था या नहीं।
MMTC PAMP में श्रीमान विकास सिंह व श्रीमान अंकुर गोयल के रहते हुए भी नहीं मिल न्याय।
जब से यह घटना हुई है तब से हमने इसकी जानकारी श्रीमान विकास सिंह जी व श्रीमान अंकुर गोयल जी को दी है पर उन्होंने भी इस मामले पर अपनी कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी और जिससे हमे अभी तक न्याय नहीं मिल सका है।
श्रीमान विकास सिंह जी इस समय कंपनी के MD है और श्रीमान अंकुर गोयल जी इस कंपनी के प्रेसीडेंट पद पर शरूआत से कार्य कर रहे है। अंकुर गोयल जी के ऊपर ही MMTC PAMP में मजदूरों के अधिकारों की सुरक्षा व मजदूरों के साथ अन्याय ना हो सके इसका उत्तरदायित्व है। इस कंपनी के मालिक श्रीमान MR. Marwan Shakarchi है जो एक विदेशी नागरिक है जो MMTC PAMP नूह कभी-कभी आते है।
अंत में,
MMTC PAMP के एक कर्मचारी के साथ अन्याय का मामला सामने आया है। यह कर्मचारी एक समर्पित और मेहनती व्यक्ति था जिसने अपने कर्तव्यों का पालन किया। कंपनी में उसकी ईमानदारी और दक्षता के बावजूद, उसे अनुचित तरीके से निशाना बनाया गया और उसके साथ अनुचित व्यवहार किया गया।
घटना तब शुरू हुई जब उसे बिना उचित कारण के निलंबित कर दिया गया। इस निलंबन के पीछे का कारण अस्पष्ट था और कर्मचारी को अपनी सफाई का मौका भी नहीं दिया गया। इसके अलावा, उसे मानसिक और भावनात्मक रूप से भी परेशान किया गया, जिससे उसकी व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन दोनों प्रभावित हुए।
इस अन्यायपूर्ण व्यवहार ने न केवल कर्मचारी के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाई बल्कि उसके परिवार पर भी नकारात्मक प्रभाव डाला। यह मामला कंपनी की आंतरिक प्रक्रियाओं और नैतिक मूल्यों पर गंभीर सवाल उठाता है। कर्मचारी ने न्याय के लिए आवाज उठाई है और अब यह मामला कानूनी प्रक्रिया के तहत है।
कर्मचारी और उसके परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद है, और यह उम्मीद की जाती है कि कंपनी इस घटना से सबक लेकर अपने कर्मचारियों के साथ अधिक सम्मानपूर्वक और निष्पक्षता से पेश आएगी। यह घटना सभी संगठनों के लिए एक चेतावनी है कि वे अपने कर्मचारियों के साथ उचित और सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करें।